इनेलो से गठबंधन चाहते हैं हरियाणा के अकाली
( अरुण सिंगला )- : शिरोमणि अकाली दल की हरियाणा इकाई हरियाणा में विधानसभा चुनाव इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से मिलकर लड़ना चाहती है। उसका मानना है कि अगर इनेलो व शिअद मिल जाएं तो गठबंधन हरियाणा में सत्ताधारी कांग्रेस का सफाया कर सकता है, लिहाजा उसने हाईकमान से चुनाव लड़ने व इनेलो से हाथ मिलाने की इजाजत मांगी है। हाईकमान ने अव्वल तो हरियाणा में चुनाव लड़ने या न लड़ने और इनेलो से गठबंधन के मुद्दे पर एक-दो दिन में निर्णय कर लेने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि पंजाब में सत्तारूढ़ अकाली दल की गठबंधन सहयोगी भाजपा ने हाल ही में हरियाणा में इनेलो से रिश्ते तोड़े हैं। अब अकाली दल का इस बाबत किसी भी फैसले पर सबकी नजर रहेगी। हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष जत्थेदार जोगिंदर सिंह अहरवां, एसजीपीसी सदस्य बलदेव सिंह कैम्पुर, परदीप सिंह भानखेड़ी, हरदम सिंह सिरसा के अलावा हरदीप सिंह निडर, तेजिंदर सिंह ढिल्लों, हरभजन सिंह मसाना, शरनजीत सिंह, हरपाल सिंह रिप्पी, निरंजन सिंह भानखेड़ी, अजीत सिंह अंबाला, जरनैल सिंह बड़ौला और अभय सिंह निडर ने शुक्रवार को शिअद के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में शिअद अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल से मुलाकात की। उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव में इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई और सुखबीर से गठबंधन करने की इजाजत मांगी। इस बैठक के दौरान शिअद महासचिव बलविंदर सिंह भूंदड़, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा और सचिव डा. दलजीत सिंह चीमा भी उपस्थित थे। जत्थेदार अहरवां ने कहा कि शिअद की हरियाणा इकाई महसूस करती है कि हरियाणा में कृषि, पर किसानों, गरीबों की समस्याओं के समाधान और पंजाबी भाषा जैसे मसलों के लिए अकाली दल को अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि हरियाणा में इनेलो और शिअद मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस का सफाया कर दिया जाएगा। अहरवां ने सुखबीर से इनेलो पार्टी अध्यक्ष से मिलकर सीटों के बंटवारे का मामला तय करने का अनुरोध किया और बलपूर्वक कहा कि चुनाव हर हाल लड़ा जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि अकाली दल हरियाणा में पार्टी को सभी सीटों पर विजय दिलाएगा। इसके साथ ही हरियाणा इकाई ने उम्मीदवारों के चयन के सभी अधिकार पार्टी अध्यक्ष सुखबीर को सौंप दिए। सुखबीर ने हरियाणा के अकाली नेताओं से कहा कि हरियाणा में चुनाव लड़ने या न लड़ने तथा इनेलो से गठबंधन करने के मुद्दे पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श करके एक-दो दिन में निर्णय ले लिया जाएगा और निर्णय लेते समय हरियाणा के पार्टी नेताओं की भावनाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा। इस अवसर पर सुखबीर ने डा. दलजीत सिंह चीमा को हरियाणा की समूची राजनीतिक गतिविधियों का बारीकी से आकलन करने को कहा ताकि वहां चुनाव लड़ने अथवा न लड़ने का निर्णय शीघ्र लिया जा सके।
अब, नमकीन चाय का, लें स्वाद
( अरुण सिंगला )- इंडियन नेशनल लोकदल प्रदेश भर में नमकीन चाय पिलाएगा। यह इनेलो की मेहमान नवाजी नहीं चुनावी फंडा है। चीनी के स्थान पर नमक घुली चाय पिलाकर इनेलो महंगी चीनी खरीद रहे मतदाता की पीड़ा को छूएगा। प्रदेश के कुछ स्थानों पर इनेलो के कार्यकर्ताओं ने लोगों को नमकीन चाय पिलानी शुरू भी कर दी है। अंबाला जिले में इनेलो के प्रदेश महासचिव जसबीर मल्लौर नमकीन चाय पिलाकर मतदाताओं को रिझा रहे हैं। मल्लौर का कहना है हम लोगों के मुद्दों को दिलचस्प तरीके से रखकर उन्हें जागरुक कर रहे हैं औरबता रहे हैं कि यह महंगाई कांग्रेस सरकार की देने है। अगर महंगाई से छुटकारा पाना है तो कांग्रेस से छुटकारा पाओ और इनेलो को वोट दो। असल में इनेलो चीनी को प्रतीक बनाकर महंगाई को मुद्दा बनाकर सरकार पर हमले करेगा। पिछले छह महीने में महंगाई से आम लोग परेशान हैं। चीनी के साथ दालों के दाम में दोगुना बढ़ोतरी के साथ आटा 17 रुपये प्रति किलो तक हो गया है। चीनी का भाव 15 रुपये किलो से 33 रुपये किलो हो गया है। चीनी के बढ़ते दाम ने लोगों की चाय को फीका कर दिया है। इनेलो अब फीकेपन को नमकीन बना रही है। इसी तरह दालों की कीमतें 30 से 35 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 70 से 80 रुपये पर पहुंच गई है। चायपत्ती, मसाला आदि की कीमतों में भी पांच से दस रुपये की बढ़ोतरी भी चिंता का विषय है जबकि देसी घी 180 रुपये से बढ़कर 230 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। इसी प्रकार अन्य वस्तुओं के दाम भी बढ़े हैं जिससे खुद कांग्रेस को भी इंकार नहीं है। पेट्रोल-डीजल के दाम अलग से बढ़े हैं। इनेलो महंगाई और मंदी की मार झेल रही जनता को पीड़ा को आधार बनाकर चुनाव प्रचार तेज करेगा। महंगाई को अपना कारगर हथियारबनाने की खातिर इनेलो ने चुनाव घोषणा पत्र में गरीब परिवारों को हर महीने 25 किलो मुफ्त अनाज देने का वायदा किया है। नमकीन चाय पिलाने के मुद्दे पर इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि इनेलो नमकीन चाय पिलाने की मुहिम को पूरे प्रदेश में चलाकर कांग्रेस के गरीब विरोधी चेहरे को बेनकाब करेगा। केंद्र की कांग्रेस सरकार कहती है कि राज्य सरकारें महंगाई को रोकें जबकि हरियाणा की कांग्रेस सरकार गेंद केंद्र के पाले में डाल रही है। असल में केंद्र व राज्य सरकार दोनों की नीतियों जमाखोरों और कालाबाजारियों को लाभ पहुंचाने वाली हैं। सीधे-सीधे भाषण या बयानों में महंगाई व दूसरे मुद्दो को उछालने का इनेलो को लोकसभा चुनाव में ज्यादा लाभ नहीं मिला। यही वजह है कि इस बार इनेलो अब मुद्दों को नाटकीय अंदाज से उछाल रहा है ताकि सीधे मतदाता के मन पर असर हो।
चुनाव प्रचार में लाउड स्पीकर का प्रयोग रात्रि 10 बजे तक
सिरसा(अरुण सिंगला )- जिलाधीश एवं उपायुक्त युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने जारी आदेशों में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों व कार्यकर्ताओं से कहा कि वे चुनाव प्रचार में लाउडस्पीकर का उपयोग सुबह 6 से रात्रि 10 बजे तक कर सकते है तथा लाउडस्पीकर की ध्वनि ऊंची न रखी जाए। इन आदेशों की अवेहलना करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि व कार्यकर्ता प्रचार के लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग करेगे। ये लाउडस्पीकर वाहन पर लगे हो सकते है या किसी अन्य माध्यम से प्रचार का कार्य किया जाता हो। इसके लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग सुबह 6 बजे से रात के 10 बजे तक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर लगाने की पूर्ण अनुमति संबंधित रिटर्निग अधिकारी से लेनी आवश्यक है। जिस वाहन पर लाउडस्पीकर लगाया जाएगा उस वाहन का नंबर भी अनुमति पत्र पर अंकित होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मतदान के 48 घटे पहले सभी प्रकार का प्रचार बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इन आदेशों की अवेहलना करने वालों के खिलाफ ध्वनि प्रदूषण एक्ट के तहत कानूनी कार्यवाही की जाएगी। एक अन्य आदेश में जिलाधीश ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने वाहन पर लाल व नीली बत्ती का प्रयोग नहीं कर सकता। लाल व नीली बत्ती का प्रयोग वहीं विभाग, अधिकारी कर सकते है जिन्हें लाल व नीली बत्ती की अनुमति प्राप्त है। एक अन्य आदेश में जिलाधीश ने सभी राजनीतिक दलों व कार्यकर्ताओं से कहा है कि प्रचार सामग्री उचित मात्रा में छपवाएं। छपवाई गई प्रचार सामग्री पर प्रेस का नाम व संख्या अवश्य अंकित हो। प्रचार सामग्री की जानकारी संबंधित चुनाव अधिकारी को उपलब्ध करवाई जाए।
एक और हैट्रिक पर हुड्डा की निगाह
( अरुण सिंगला )- लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक बनाने वाले मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की निगाह अब एक और हैट्रिक पर लगी है। इस हैट्रिक का फर्क बस इतना है कि पहले जीत की तिकड़ी लोकसभा चुनाव में बनाई थी, अब विधानसभा में जीत की यही कहानी दोहराना चाहेंगे। यदि मुख्यमंत्री विधानसभा चुनाव में जीत जाते हैं तो वे प्रदेश के दूसरे ऐसे राजनीतिज्ञ होंगे, जिनके खाते में चुनाव के दोनों संस्करणों (लोकसभा और विधानसभा) में जीत की हैट्रिक दर्ज होगी। लोकसभा व विधानसभा में हैट्रिक बनाने का विरला कारनामा पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल भी कर चुके हैं। बंसीलाल 1980, 1984 व 1989 के लोकसभा चुनाव और 1967, 1968 व 1972 के विधानसभा चुनाव जीतकर तिकड़ी बना चुके हैं। हरियाणा के अस्तित्व में आने के बाद से किलोई हलके में विपक्ष का कुछ ज्यादा ही बोलबाला था। यह भी संयोग ही रहा कि किलोई हलके से जीत की बोहनी मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा ने की। इसके बाद लगातार कांग्रेस प्रत्याशी हारते रहे, यह सिलसिला 1991 तक चलता रहा। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णमूर्ति हुड्डा जीते। इसके साथ ही हुए लोकसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रोहतक लोकसभा सीट से पहली जीत दर्ज की। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 1991, 1996 व 1998 के लोकसभा चुनाव में पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल को लगातार तीन बार पटखनी दी थी। वर्ष 2000 व 2005 में हुए उपचुनाव में जीतकर हुड्डा विधानसभा पहंुचे। किलोई उपचुनाव में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने करीब 96 प्रतिशत मत लेकर नया रिकार्ड कायम किया था। नए परिसीमन के बाद किलोई से गढ़ी-सांपला-किलोई बने इस हलके में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने 87 हजार 908 मत हासिल किए थे। इनेलो प्रत्याशी नफे सिंह राठी केवल 10 हजार 99 वोट ले पाए थे। जीत के इसी दौर के बीच 1996 के विधानसभा चुनाव में किलोई और 1999 लोकसभा चुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा। इनेलो ने इस वीआईपी सीट से नए चेहरे सतीश नांदल को उतारा है। भाजपा, हजकां व बसपा ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। वैसे, कांग्रेसी पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री को रोहतक विधानसभा से चुनाव लड़ने का न्यौता दे रहे हैं। यह सीट शादीलाल बतरा के राज्यसभा में भेजे जाने के बाद खाली हुई है। यहां कुछ बदलाव होगा, कहना मुश्किल है। फिर भी राजनीति में कुछ भी होने की संभावना हमेशा बनी रहती है।
अपनों को टिकट की जुगत में दिग्गज
( अरुण सिंगला)- हरियाणा के चुनावी दंगल में ताल ठोकने के लिए न केवल दिग्गजों ने लंगोट कसे हुए हैं, बल्कि वह अपनी धर्मपत्नियों और पुत्रों के साथ-साथ भाइयों के लिए भी टिकट की दमदार पैरवी कर रहे हैं। पत्नी और पुत्रों के लिए टिकट मांगने वाले दिग्गजों की संख्या कांग्रेस में सबसे अधिक है। भाजपा, बसपा और हजकां में एक दर्जन दिग्गज अपने पारिवारिक सदस्यों के लिए टिकट की जंग लड़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 18 सितंबर से आरंभ होगी। इनेलो और हजकां ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। कांग्रेस समेत बाकी दलों की सूची नामांकन प्रक्रिया के दौरान घोषित होने की उम्मीद है। प्रत्येक पार्टी में इस समय टिकट के लिए मारामारी मची हुई है। कांग्रेस समेत हर दल में दिग्गज जहां खुद के टिकट की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं उनकी कोशिश अपनी पत्नियों, पुत्रों और भाइयों को टिकट दिलाने की है। कांग्रेस दिग्गज अपनी व परिवार के सदस्यों की टिकट के लिए दिल्ली दरबार में डेरा डाले हुए हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की धर्मपत्नी आशा हुड्डा के रोहतक से चुनाव लड़ने की संभावना बताई जा रही है। पूर्व मंत्री विनोद शर्मा की धर्मपत्नी शक्ति शर्मा अंबाला शहर और पंचकूला से टिकट की दावेदार हैं। कांग्रेस के प्रांतीय कार्यकारी प्रधान कुलदीप शर्मा की पत्नी नीलम शर्मा असंध और करनाल तथा करनाल के सांसद डा. अरविंद शर्मा की पत्नी डा. रीटा शर्मा समालखा से टिकट की दावेदार हैं। हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पीवी राठी की पत्नी पूनम राठी गन्नौर से कांग्रेस का टिकट चाहती हैं तो पूर्व मंत्री राजेश शर्मा की पत्नी यमुनानगर में दावेदार हैं। वह राज्य कर्मचारी चयन आयोग की सदस्य भी हैं। फरीदाबाद के कांग्रेस सांसद अवतार सिंह भड़ाना अपनी पत्नी ममता भड़ाना के लिए बड़खल अथवा फरीदाबाद एनआईटी से टिकट चाहते हैं। केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के भाई जगन्नाथ उकलाना से टिकट के दावेदार हैं तो उनके जीजा आईएएस आरके रंगा साढ़ोरा अथवा मुलाना से कांग्रेस की टिकट के इच्छुक बताए जाते हैं। राज्यसभा सदस्य ईश्वर सिंह के पुत्र शाहबाद से टिकट के दावेदार है। पूर्व सांसद आत्मा सिंह गिल की बेटी गुरदीप कौर रतिया से बसपा का टिकट चाहती हैं तो उनके पुत्र परमवीर गिल रतिया से ही कांग्रेस के टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं। कांग्रेस में उपमुख्यमंत्री रहे चंद्रमोहन खुद को टिकट नहीं मिलने की स्थिति में अपनी पत्नी सीमा बिश्नोई के लिए पंचकूला से कांग्रेस की टिकट मांग रहे हैं। हजकां ने सीमा बिश्नोई को अपनी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़वाने की पेशकश की है। हांसी के विधायक अमीरचंद मक्कड़ अपने पुत्र रवींद्र मक्कड़ के लिए टिकट मांग रहे हैं। पूर्व मंत्री लक्ष्मण दास अरोड़ा को अपनी पुत्री सुनीता सेतिया अथवा दामाद राहुल सेतिया के लिए सिरसा से टिकट की उम्मीद में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह बादशाहपुर से अपनी पुत्री के लिए टिकट हासिल करने की जुगत में लगे हुए हैं। पूर्व मंत्री संपत सिंह की साली बिमला सांगवान ने नलवा और आदमपुर से कांग्रेस की टिकट मांगी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष फूलचंद मुलाना खुद मुलाना से टिकट के दावेदार हैं। यहां उन्होंने अपने पुत्र वरुण मुलाना का नाम भी चला रखा है। वरुण शाहबाद में भी निगाह टिकाए बैठे हैं। बसपा के प्रांतीय प्रभारी मान सिंह मनहेड़ा की पत्नी सतबीर कौर को नीलोखेड़ी हलके में लाने की तैयारी हो रही है। पूर्व मंत्री जाकिर हुसैन के पुत्र ताहिर हुसैन फिरोजपुर झिरका से बसपा के टिकट के दावेदार हैं। पूर्व मंत्री राव महावीर सिंह के पुत्र राव नरवीर सिंह बादशाहपुर से हजकां की टिकट के दावेदार हैं। पूर्व मंत्री शेर सिंह के पुत्र रवि सिंह साढ़ोरा से बसपा का टिकट चाहते हैं। सोनीपत के कांग्रेस सांसद जितेंद्र मलिक अपने भाई हरेंद्र मलिक के लिए गन्नौर से टिकट की दावेदारी किए हुए हैं। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रतनलाल कटारिया अपनी पत्नी बंतो कटारिया के लिए शाहाबाद से टिकट की जुगाड़ में हैं। हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा की पुत्री माधवी यमुनानगर से बसपा के टिकट की मजबूत दावेदार हैं। पूर्व सांसद स. तारा सिंह ने असंध से अपने पुत्र प्रिंस के लिए इनेलो का टिकट मांगा है। दिवंगत राज्यपाल सूरजभान के पुत्र अरुण कुमार मुलाना से भाजपा के टिकट के दावेदारों में शामिल हैं। हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई हालांकि खुद आदमपुर से चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं, मगर वह अपनी पत्नी रेणुका को नलवा से चुनाव लड़वाने के इच्छुक हैं। यदि रेणुका चुनाव नहीं लड़ी तो कुलदीप अपनी माता जसमा देवी को नलवा अथवा हिसार से चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। कांग्रेस की दिवंगत पूर्व मंत्री करतार देवी के देवर को कलानौर से टिकट दिलाने की जुगाड़ बैठाई जा रही है।
अफसरों को भाई नेतागीरी
( अरुण सिंगला )- हरियाणा की राजनीति और चुनाव में अफसरशाही का रुझान बढ़ता जा रहा है। अफसर रिटायर होकर या नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रख रहे हैं। यह दीगर बात है कि अभी तक बहुत कम अफसरों को इसमें कामयाबी मिली है। पहले पहल कृपा राम पूनिया ने राजनीति में मजबूत दस्तक दी। 1987 में देवीलाल कृपा राम पूनिया को आईएएस के पद से इस्तीफा दिलवाकर राजनीति में लाए। तब पूनिया प्रदेश में एक बड़े दलित नेता के रूप में उभरे। पर पूनिया देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत सिंह के खेमे में चले गए और पार्टी के संगठन पर देवीलाल के बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला की पकड़ रही। इसके कारण धीरे-धीरे पूनिया राजनीति के हाशिये पर चले गए। वैसे पूनिया से पहले शाम चंद राजनीति में आ गए थे और मंत्री भी बने थे। शामलाल लंदन में स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाते थे। नौकरी छोड़ने के बाद वह 1972 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर बंसीलाल की वजारत में वजीर बने। दिलचस्प बात यह है कि बाद में सोनीपत जिला की बरौदा सीट से शाम लाल को हराकर ही कृपा राम पूनिया ने राजनीति में प्रवेश किया। आईएएस अधिकारी आईडी स्वामी सेवानिवृत्त होने के बाद भाजपा में शामिल हो गए। स्वामी ने करनाल संसदीय सीट से दो बार चुनाव जीता और वह केंद्र में मंत्री भी बने। हेतराम बैंक अधिकारी का पद छोड़कर और डा.सुशील कुमार इंदौरा डाक्टर का पद छोड़कर राजनीति में आए और दोनों ही सिरसा से सांसद बने। दोनों ही इनेलो के टिकट पर सांसद बने थे पर अब दोनों ही कांग्रेस में हैं। हरियाणा विधानसभा के निवर्तमान अध्यक्ष डा.रघुबीर सिंह कादियान 1987 के दौर में देवीलाल के साथ राजनीति में आए। कादियान हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में डाक्टर थे। कादियान भी उन राजनेताओं में से हैं जोकि देवीलाल के छोटे बेटे से रणजीत सिंह के साथ हो लिए थे, पर आखिर उन्हें कांग्रेस में आना पड़ा। नारनौल से निवर्तमान विधायक राधे श्याम शर्मा आबकारी व कराधान विभाग में अधिकारी थे। सेवानिवृत्ति के बाद वह कांग्रेस से टिकट चाहते थे, पर टिकट न मिलने पर उन्होंने 2005 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की। इलाके में उन्हें राधे श्याम डीटीसी के नाम से ही जाना जाता है। एचसीएस अधिकारी बहादुर सिंह ने साल 2000 विधानसभा में जीत हासिल की और वजीर बने। पर अब वे इनेलो छोड़कर कांग्रेस में आ गए हैं। पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए एच आर स्वान ने दो बार सिरसा संसदीय सीट पर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा। इस समय पूर्व पुलिस महानिदेशक एएस भटोटिया और पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रेशम सिंह भाजपा में हैं। दोनों अफसर भाजपा की चुनाव समिति में हैं। पूर्व पुलिस महानिदेशक महेंद्र सिंह मलिक, पूर्व आईएएस बी डी ढालिया और आर एस चौधरी इनेलो में हैं और इनेलो में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। डा.केवी सिंह 1987 के दौर में सरकारी नौकरी छोड़कर देवीलाल के ओएसडी बने थे। अब केवी सिंह मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ओएसडी थे। सिरसा जिला में दड़बा उनका विधानसभा क्षेत्र था जहां से उन्होंने चुनाव लड़ा था पर हार गए थे। अब डा. के वी सिंह सिरसा जिले के मंडी डबवाली से कांग्रेस के टिकट पर दावा कर रहे हैं। दड़बा सीट नई हदबंदी में बची नहीं और डबवाली सीट अब आरक्षित नहीं रही। एचसीएस अफसर वीरेंद्र मराठा ने नौकरी से इस्तीफा देकर 2004 में एकता शक्ति नाम से राजनीतिक दल बनाया। एकता शक्ति में कई उतार चढ़ाव आए। मराठा ने कई चुनाव लड़े। आखिरकार 2009 के चुनाव में उन्होंने एकता शक्ति का बसपा में विलय कर दिया और करनाल संसदीय सीट से चुनाव लड़ा पर जीत न सके। बसपा से निकाले जाने के बाद आजकल मराठा इनेलो के संपर्क में है। आईएएस अफसर रघुबीर सिंह ने सेवानिवृत्ति के बाद हविपा की टिकट पर टोहाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था पर वह हार गए। रघुबीर सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरपाल सिंह के सगे भाई हैं। केंद्रीय मंत्री सैलजा के जीजा व सेवानिवृत्त आई ए एस आर के रंगा अब कांग्रेस में है और मुलाना या सढौरा विधानसभा सीट से टिकट का दावा कर रहे हैं। हाल ही में सेवानिवृत्त हुए आई ए एस अफसर एचसी दिसौदिया कांग्रेस में हैं और टिकट का दावा कर रहे हैं। सेवानिवृत्त एचसीएस अधिकारी एमएल सारवान भी भी राजनीति में सरगर्म हैं।
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